नागा साधू का रहस्य >>>>>
सनातन धर्म की रक्षा के लिए आदिगुरु शंकराचार्य जी ने इन्हें बनाया था. यह अध्यात्मिक आर्मी जीरो बजट की होती है.नागा साधू के लिए सरकार कोई बजट नहीं देती है. उनको वस्त्र की आवश्यकता नहीं है. तपस्या की अवधि में भोजन की भी आवश्यकता नहीं होती है. हिंदुत्व की रक्षा के लिए इस समय पुनः नागा साधुओ की आवश्यकता हो गयी है. हम सभी हिन्दू नागा सन्यासियों से निवेदन कर रहे है, वे आकर हिंदुत्व की कमान संभाले.तथा समाप्त होते ''हिंदुत्व'' की रक्षा करे- नागा साधूओं का इतिहास नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि भले ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्नि के ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे। नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में मददगार साबित होते हैं। वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं। ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। नागा साधूओं का इतिहास भारतीय सनातन धर्म के वर्तमान स्वरूप की नींव आदिगुरू शंकराचार्य ने रखी थी। शंकर का जन्म ८वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था जब भारतीय जनमानस की दशा और दिशा बहुत बेहतर नहीं थी। भारत की धन संपदा से खिंचे तमाम आक्रमणकारी यहाँ आ रहे थे। कुछ उस खजाने को अपने साथ वापस ले गए तो कुछ भारत की दिव्य आभा से ऐसे मोहित हुए कि यहीं बस गए, लेकिन कुल मिलाकर सामान्य शांति-व्यवस्था बाधित थी। ईश्वर, धर्म, धर्मशास्त्रों को तर्क, शस्त्र और शास्त्र सभी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना के लिए कई कदम उठाए जिनमें से एक था देश के चार कोनों पर चार पीठों का निर्माण करना। यह थीं गोवर्धन पीठ, शारदा पीठ, द्वारिका पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ। इसके अलावा आदिगुरू ने मठों-मन्दिरों की सम्पत्ति को लूटने वालों और श्रद्धालुओं को सताने वालों का मुकाबला करने के लिए सनातन धर्म के विभिन्न संप्रदायों की सशस्त्र शाखाओं के रूप में अखाड़ों की स्थापना की शुरूआत की। नागा साधूओं का इतिहास आदिगुरू शंकराचार्य को लगने लगा था सामाजिक उथल-पुथल के उस युग में केवल आध्यात्मिक शक्ति से ही इन चुनौतियों का मुकाबला करना काफी नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि युवा साधु व्यायाम करके अपने शरीर को सुदृढ़ बनायें और हथियार चलाने में भी कुशलता हासिल करें। इसलिए ऐसे मठ बने जहाँ इस तरह के व्यायाम या शस्त्र संचालन का अभ्यास कराया जाता था, ऐसे मठों को अखाड़ा कहा जाने लगा। आम बोलचाल की भाषा में भी अखाड़े उन जगहों को कहा जाता है जहां पहलवान कसरत के दांवपेंच सीखते हैं। कालांतर में कई और अखाड़े अस्तित्व में आए। शंकराचार्य ने अखाड़ों को सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए जरूरत पडऩे पर शक्ति का प्रयोग करें। इस तरह बाह्य आक्रमणों के उस दौर में इन अखाड़ों ने एक सुरक्षा कवच का काम किया। कई बार स्थानीय राजा-महाराज विदेशी आक्रमण की स्थिति में नागा योद्धा साधुओं का सहयोग लिया करते थे। इतिहास में ऐसे कई गौरवपूर्ण युद्धों का वर्णन मिलता है जिनमें ४० हजार से ज्यादा नागा योद्धाओं ने हिस्सा लिया। अहमद शाह अब्दाली द्वारा मथुरा-वृन्दावन के बाद गोकुल पर आक्रमण के समय नागा साधुओं ने उसकी सेना का मुकाबला करके गोकुल की रक्षा की। नागा साधू नागा साधुओं की लोकप्रियता है। संन्यासी संप्रदाय से जुड़े साधुओं का संसार और गृहस्थ जीवन से कोई लेना-देना नहीं होता। गृहस्थ जीवन जितना कठिन होता है उससे सौ गुना ज्यादा कठिन नागाओं का जीवन है। यहां प्रस्तुत है नागा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। 1. नागा अभिवादन मंत्र : ॐ नमो नारायण 2. नागा का ईश्वर : शिव के भक्त नागा साधु शिव के अलावा किसी को भी नहीं मानते। *नागा वस्तुएं : त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष, तलवार, शंख, कुंडल, कमंडल, कड़ा, चिमटा, कमरबंध या कोपीन, चिलम, धुनी के अलावा भभूत आदि। 3. नागा का कार्य : गुरु की सेवा, आश्रम का कार्य, प्रार्थना, तपस्या और योग क्रियाएं करना। 4. नागा दिनचर्या : नागा साधु सुबह चार बजे बिस्तर छोडऩे के बाद नित्य क्रिया व स्नान के बाद श्रृंगार पहला काम करते हैं। इसके बाद हवन, ध्यान, बज्रोली, प्राणायाम, कपाल क्रिया व नौली क्रिया करते हैं। पूरे दिन में एक बार शाम को भोजन करने के बाद ये फिर से बिस्तर पर चले जाते हैं। भारत की आजादी के बाद इन अखाड़ों ने अपना सैन्य चरित्र त्याग दिया। इन अखाड़ों के प्रमुख ने जोर दिया कि उनके अनुयायी भारतीय संस्कृति और दर्शन के सनातनी मूल्यों का अध्ययन और अनुपालन करते हुए संयमित जीवन व्यतीत करें। इस समय १३ प्रमुख अखाड़े हैं जिनमें प्रत्येक के शीर्ष पर श्रीनगर।। जम्मू-कश्मीर का बड़गाम जिला एक कथित सूफी दरवेश की करतूत से सन्न है। गुलजार अहमद बट नाम के इस दरवेश पर खानसाहिब के अपने धार्मिक केंद्र में कई लड़कियों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न का आरोप है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर 27 मई तक रिमांड पर लिया है।
"सुप्रीम कोर्ट के मुक़द्दमे मे कसाईयो द्वारा गाय काटने के लिए वही सारे कुतर्क रखे गए जो कभी शरद पवार द्वारा बोले गए या इस देश के ज्यादा पढ़ें लिखे लोगो द्वारा बोले जाते है या देश के पहले प्रधान मंत्री नेहरू द्वारा कहे गए ! उत्तराखंड में एक ऐसा रहस्यमय स्थान है जिसे देवस्थान कहते हैं। मुण्डकोपनिषद के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माओं का एक संघ है। इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड में स्थित है। इसे देवात्मा हिमालय कहा जाता है। इन दुर्गम क्षेत्रों में स्थूल-शरीरधारी व्यक्ति सामान्यतया नहीं पहुंच पाते हैं। कई टीवी चैनल वाले बार-बार दिखा रहे हैं कि
सुना है ओवैसी ने कहा - मदरसे की चिंता सरकार नही करे क्योंकि saudi arab है करने के लिए।
अबे चु+^##+ भूल गया सऊदी के भूतपूर्व राजा ने कहा था कि हिंदुस्तान पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के मुस्लमान अपने आप को असली मुसलमान न समझे। वो उन कायरो की औलाद है जिसने जबरन इस्लाम कबूल किया। यानी अरब से तुम्हारे नाजायज बाप ने पुष्टि कर दी गयी है के तुम्हारे जायज बाप हम है। अब या तो यहां के कायदे कानून फॉलो करो या अपने नाजायज बायो के घर जाओ। जिस थाली मे खाता है उसमे हंगने की जरूरत नहीं है #गद्दार कल से अब तक phone/tv से कुछ दूर था तो अभी देखकर समझ नही आया के ये #selfiewithdaughter क्या है।
fb पर हैश टैग सर्च किया तो पता चला मोदी ने hashtag जारी किया और भारत ही नहीं दुनिया के कोने कोने से लोग ट्विटर पर बेटी के साथ फ़ोटो खींचकर इस idea के लिए मोदी को धन्यवाद कर रहे है। fb के पोस्ट में से एक पोस्ट Amit Sharma भैया की देखी जो इस प्रकार थी Dear haters. "Only those who are ashamed of their daughters & girls who were rap^d by their dads will object to #SelfieWithDaughter" -- Mary Magdellan तो समझ आया कुछ लोग विरोध भी कर रहे है। जैसे कुछ लोगो की लेटे लेटे पिछवाड़ा खुजाने की आदत होती है वैसे ही कुछ लोगों की मोदी का अकारण विरोध करने की आदत होती है mary ने विरोध करने वाली लड़कियो की कहानी बता ही दी है। मैं विरोध करने वालो बाप लोग जो है उनके बारे में बता देता हूँ। बिहार यूपी में एक गाली चलती है खैर समझ गए होंगे ! |
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July 2015
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